Wednesday, 15 January 2014

Hindi Poems That Are Unknown To All: कैसे मिलोगे?

Hindi Poems That Are Unknown To All: कैसे मिलोगे?: कैसे मिलोगे ? रक्त से  धोया हुआ  अनुराग  होगा। वक्ष पर सीमान्त जय का दाग  होगा। दृष्टि में  होगा  जयी  भारत  हमारा , औ...

कैसे मिलोगे?

कैसे मिलोगे?




रक्त से  धोया हुआ  अनुराग  होगा।
वक्ष पर सीमान्त जय का दाग  होगा।

दृष्टि में  होगा  जयी  भारत  हमारा,
और अधरों पर अमर जय-हिंद नारा।

भाल पर दैदीप्त नेफा  की   कहानी,
हड्डियों  तक  में  धँसीं  हिन्दोस्तानी,

और  लोहित  भूमि का संदेश लेकर,
जब कभी आऊँगा मैं अवकाश ले घर,

खोज कर तुमको मिलूंगा जहाँ   होगे,
देखता तब तुम  मुझे  कैसे  मिलोगे?



दूर  होगे  खून के  धब्बों  से डर के,
या गले से आ मिलो गे  दौड़ कर के,

दर्द के अंदाज  दिल  के  पार  होंगे?
या कि मेरे घाव  तव  श्रंगार   होंगे?

युद्ध की अटखेलियाँ क्या खल उठेंगी?
गर्व  से  दीवालियाँ  या  जल उठेंगी?

देखता  तब  कौन सा  उपचार  दोगे?
त्याग दोगे या कि मुझको प्यार  दोगे?



यदुराज

कौन हो ?

कौन हो ?

 
हृदय तल  पर
गुदगुदा    कर,
विकल निज में-
रहे    डर-डर।

हर दिशा का
ले   पताका
जो मौन  हो
तुम कौन हो?

पवन सन-सन
बहे  हर   मन
गगन बन गया
किरन  उपवन  ।

खिलीं सब कलीं
चले   गा  अली
पंथ   हर  गली
उषा  है   भली।

कि जिसके लिए
जले  हैं   दिये
मिटाने     अहं
शलभ चल दिए।

समय को बांध
गगन को लांघ
जो   मौन  हो,
तुम  कौन  हो?



यदुराज