Thursday, 20 June 2013

कौन है जो पास आता जा रहा है? A Poetry on curiosity about UNTHINKABLE

कौन है?



कौन है जो पास आता  जा रहा है?
प्यार की धुन गुनगुनाता जा रहा है?


जिंदगी से  यह बियाबाँ   हट रहा है,
धुंद का साम्राज्य भी अब छट रहा है,
स्वांस तक अवरुद्ध थी जिसकी वजह से-
बेबसी  का  वही  बंधन  कट  रहा है.

अभी तक ठगता रहा हर मोड़ पर जो
वह समय भी गले मिलाने आ रहा है.
कौन है जो पास आता  जा रहा है?
प्यार की धुन गुनगुनाता जा रहा है?


मौन के उस छोर से  बंसी बजाता,
कंटकों की राह पर कलियाँ सजाता,
कौन है जो चाँदनी को हाथ में ले,
बादलों की ओट से  जादू दिखाता?

कौंधियाती आँख की पुतली के पीछे,
सुनहरे  सपने  सजाता  जा रहा है?
कौन है जो पास आता  जा रहा है?
प्यार की धुन गुनगुनाता जा रहा है?



वह ख़ुशी-आनंद भी, अधिकार भी है,
वह नदी की धार भी, पतवार भी है,
अगम जल के भंवर का आधार भी है,
डूबने के बाद का   उपहार  भी  है.

उस खुशी को ब्यक्त करती मूक भाषा
में  लिखी  गीता  सुनाता  जा रहा है.
कौन है जो  पास आता  जा  रहा  है?
प्यार  की  धुन  गुनगुनाता जा रहा है?




यदुराज सिंह बैस

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