Wednesday, 26 June 2013

कौन है जो पास आता जा रहा है,




               कौन है?




कौन है जो  पास  आता जा रहा है,
प्यार की धुन गुनगुनाता जा रहा है.

जिंदगी से  यह  बियावाँ  हट रहा है,
धुंद का साम्राज्य भी अब छट रहा है,
स्वांस तक अवरुद्ध थी जिसकी वजह से-
बेबसी  का  वही  बंधन  कट रहा है.

अभी तक ठगता रहा हर मोड़ पर जो,
वह समय भी गले मिलने आ रहा है.
कौन है जो  पास  आता जा  रहा है,
प्यार की धुन गुनगुनाता जा  रहा है.


मौन के  उस छोर  से बंसी बजता,
कंटकों की राह पर कलियाँ सजाता,
कौन है  जो चाँदनी  ले  हाथ में-
बादलों की ओट से  जादू दिखाता.

कौंधियाती आँख की पुतली के पीछे
सुनहरे  सपने  सजाता  जा रहा है
कौन है जो  पास  आता जा रहा है,
प्यार की धुन गुनगुनाता जा रहा है.


वह ख़ुशी-आनंद भी, अधिकार भी है,
वह नदी की धार भी, पतवार भी है,
अगम जल के भंवर का आधार भी है-
डूबने के  बाद का  उपहार  भी है.

उस ख़ुशी को व्यक्त करती मूक भाषा
में  लिखी  गीता  सुनाता  जा रहा है.
कौन है जो  पास  आता   जा रहा है,
प्यार की धुन  गुनगुनाता  जा रहा है.



               यदुराज सिंह बैस




यदुराज सिंह बैस

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