मेरे दोस्त
दुर्भाग्य की ठोकर-ठकुराई से
सब की नज़रों की बेरुखाई से
सतत त्रसित मैं
एकाकी
अकिंचन
असहाय
जब कभी-
अपनी इस दयनीय स्थिति पर
आंसू बहाता हूँ
और अपनी बेबस बेकार सिसकियों से
बहरे आकाश को जगाता हूँ
तथा जब कभी -
अपने हालात पर रोता हूँ
और कसैले आंसुओं से
मन पर जमी ग्लानि को भिगोता हूँ
धोता हूँ
तो –
खुद को कितना लाचार पाता हूँ
कितना दयनीय होता हूँ
ये
स्वयं को तुच्छ-निकृष्ट बताना
या बेवश और दीन-हीन जाताना
जैसे मेरी अलिखित कहानी के प्रमुख भाव हैं
जब कि मेरे मन को सताते
सदैव रिसते-रिसाते
और भी उत्पीड़क घाव हैं
जैसे –
मेरे पास भी आशाओं का धन होता
मेरा भी प्रेरक दिल-दिमाग-मन होता
मैं भी कुछ ऐसा करता
या वैसा करता
आता तो यों आता
कि ज़माने पर छा जाता
या कुछ ऐसा करता या लिखता
जिसे सारी दुनिया सराहती
जो सभी को दिखता
हर कोई जिसे दिखाता
या
मेरे पास भी कोई सृजनात्मक सपना होता
और पार्श्व में कोई खास अपना होता
इतना अपना
कि जिसकी आहट पर
मन की वीणा निर्बंध बज उठती
और जिसके स्वागत में
दिल की कादंबरी कुहक उठती
सज उठती
या
इस विशाल धरती पर
कहीं
ऐसा भी कोना होता
जहाँ मैं पत्थरों को पारस बनाता
ताकि हर लोहा सोना होता
और वहाँ
ऐसा सब कुछ कर पाता
जो अन्यथा बिल्कुल न होना होता
जहाँ मैं
अपने दमघोंटू मुखौटे उतार सकता
जहाँ किसी पर अपना सर्वस्व वार सकता
और जब
मैं अपने आपको
इन विचारों के ताप से
झुलसा हुआ पाता हूँ
बहुत डर जाता हूँ
तब
ऎसी हालत में
मानस की घनीभूत बदली में
एक बिजली कौंध जाती है
और मेरे रूठे हुए मित्र
मेरे मन की भीति पर सजे एकमात्र चित्र
तुम्हारी याद आती है
तब
सारा का सारा धुंध छंट जाता है
कुहासा हट जाता है
रोशनी धुल जाती है
आँखें खुल जाती हैं
और लगता है जैसे -
उषा के गर्भ से अवतरित होकर
इस नकचढ़ी धरती को मार कर ठोकर
ऊपर
बहुत ऊपर
सुनहरे आकाश की गोद में
एक मदमस्त हंस
पूरे मोद में
तैरता आने लगे
और स्वर्ग के द्वार पर
साम-गीत गाने लगे
और तब
मेरे मन के मीत
तुम्हारे प्यार भरे गीत
यादों के सहारे
बाहें पसारे
बासंती झोंके की तरह आते हैं
फूल बरसाते हैं
और मेरी मुरझाई साँसों को
नव जीवन दे जाते हैं
और ऐसे में
तब
न जाने कैसे
कमाल हो जाता है
यह कंगाल मालामाल हो जाता है
दमक उठता है मेरा व्यक्तित्व
गर्व से चमक उठती हैं मेरी आँखें
और
मेरे सौभाग्य की तुलना में
हीन सा लगता सम्राटों का अस्तित्व
दिल खिल जाता है
और
मुझे सारा वैभव-बड़प्पन
अपने आप मिल जाता है
यदुराज सिंह बैस
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