अजीव कहानी
नानी!
तेरी कहानी
बड़ी ही विचित्र है,
इसमें -
न कोई शत्रु है,
न कोई मित्र है,
कागज़ के गंध हीन फूल,
लोगों के सीने में शूल,
धरती वीरान,
शंकित इंसान,
तपती हुई रेत,
सूखे हुए खेत,
कहीं नहीं पानी,
यह भी है कोई कहानी?
भाषा समर्थ नहीं.
शब्द हैं अर्थ नहीं.
चारों ओर-
शोर ही शोर,
भीड़ भरे रास्ते,
किसके वास्ते-
उद्वेलित हो रहे?
आपा खो रहे?
न कोई राजा,
न कोई रानी,
नानी,
समझ में न आती
ऎसी कहानी.
बात यों भी अजीव है,
कि हर किसी के कंधे पर-
लदी एक सलीब है,
उल्लुओं की बस्ती
है,
मौत यहाँ सस्ती
है,
कहाँ गयी भेड़-
जिसे भेड़ियों के
झुन्ड
रहे हैं खदेड़?
न कोई ज्ञानी,
न अज्ञानी,
कैसी अजीब कहानी?
नानी?
यदुराज सिंह
यदुराज सिंह
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