Friday, 14 August 2015

तू ही तू

तू ही तू



एक  तेरी  ईंट  लेकर,
एक  मेरी  ईंट  लेकर,
जन-जन से ईंट लेकर,
यह महल जा बना  है।


कुछ तूने  कोशिशें  कीं,
कुछ मैने  कोशिशें  कीं,
जन-जन ने कोशिशें  कीं,
तब शिखर ध्वज तना है।


किस किस ने क्या किया है?
किस किस ने क्या दिया है?
किस किस का श्रम जुड़ा है?
किस किस की  आरजू  है?


पर   कैसे   इस    कहानी  
पर   फिर   गया  है  पानी?
अब  हर   किसी  जुवाँ पर  
बस  सिर्फ  तू   ही  तू  है।