तू ही तू
एक तेरी ईंट लेकर,
एक मेरी ईंट लेकर,
जन-जन से ईंट लेकर,
यह महल जा बना है।
कुछ तूने कोशिशें कीं,
कुछ मैने कोशिशें कीं,
जन-जन ने कोशिशें कीं,
तब शिखर ध्वज तना है।
किस किस ने क्या किया है?
किस किस ने क्या दिया है?
किस किस का श्रम जुड़ा है?
किस किस की आरजू है?
पर कैसे इस कहानी
पर फिर गया है पानी?
अब हर किसी जुवाँ पर
बस सिर्फ तू ही तू है।
एक तेरी ईंट लेकर,
एक मेरी ईंट लेकर,
जन-जन से ईंट लेकर,
यह महल जा बना है।
कुछ तूने कोशिशें कीं,
कुछ मैने कोशिशें कीं,
जन-जन ने कोशिशें कीं,
तब शिखर ध्वज तना है।
किस किस ने क्या किया है?
किस किस ने क्या दिया है?
किस किस का श्रम जुड़ा है?
किस किस की आरजू है?
पर कैसे इस कहानी
पर फिर गया है पानी?
अब हर किसी जुवाँ पर
बस सिर्फ तू ही तू है।