Monday, 5 August 2013

अब हर किसी जुबाँ पर बस सिर्फ तू हि तू है!

तू



एक तेरी ईंट लेकर,
एक मेरी ईंट लेकर,
जन जन से ईंट लेकर
यह महल जा बना है;

कुछ तू ने कोशिशें कीं,
कुछ मैं ने कोशिशें कीं,
जन जन ने कोशिशें कीं
तब शिखर ध्वज तना है.

किस किस ने क्या किया है?
किस किस ने क्या दिया है?
किस किस का श्रम जुड़ा है?
किस किस की आरजू है?

पर जैसे इस कहानी
पर फिर गया है पानी
अब हर किसी जुबाँ पर
बस सिर्फ तू हि तू है!


यदुराज सिंह बैस


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