विडम्बना
जो प्यार के लिए बना है-
सड़ रहा है.
जो नफ़रत से सना है-
अकड़ रहा है.
जिसे गर्म होना था-
ठंडा है,
लोभ के हाथ में तोप है,
लाड़ के सिर पर डंडा है.
जहाँ जोश चाहिए-
वहाँ मुर्दनी छाई है,
और जहाँ होश चाहिए-
वहाँ मति बौराई है.
उनकी बेरुखी को
बड़े जतन से पाला जाए,
और मेरी अपरिमित चाहत को-
अगले जनम के लिए टाला जाए,
यह कैसी विडम्बना है?
यदुराज सिंह बैस
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