बूंद बूंद रिस गया आँजुरी का पानी,
साँझ ढली खत्म हुई दिन की कहानी.
आँधरा अंधेरा लिए रात का रचैया-
कालिख से पोत गया मान और मानी.
न ही औकात बची न ही बचीं बातें ,
दूल्हन बिन लौट चलीं प्यार की बरातें.
नातों ने दुतकारा, पातों ने मुंह फेरा,
बूंदें बन छिटक गईं सुख की सौगातें.
यदुराज
साँझ ढली खत्म हुई दिन की कहानी.
आँधरा अंधेरा लिए रात का रचैया-
कालिख से पोत गया मान और मानी.
न ही औकात बची न ही बचीं बातें ,
दूल्हन बिन लौट चलीं प्यार की बरातें.
नातों ने दुतकारा, पातों ने मुंह फेरा,
बूंदें बन छिटक गईं सुख की सौगातें.
यदुराज
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